Short Brief: विज्ञान के बारे में 5 आश्चर्यजनक तथ्य | Top 5 Amazing Facts in Hindi about Science | scientific facts | Facts About Science | Random Facts | Life facts | Short Facts | Worl Facts | Amazing Facts | Intresting facts
आपको Facts पसंद ही होंगे तभी आप इस पोस्ट पर आए हो। आज हम आपको Top 5 Amazing Facts in Hindi about Science के बारेमे जानकारी देंगे। हम इस आर्टिकल की सहायता से ऐसे फैक्ट देखेंगे की आपने इससे पहले कभी देखे नहि होंगे। यहां जो भी fact बताए है वो सभी fact unique है। सभी नए fact जानने के लिए इस आर्टिकल को पुरा अंत तक पढे।
5+ विज्ञान के बारे में 5 आश्चर्यजनक तथ्य | Top 5 Amazing Facts in Hindi about Science
1. जानवरआवाजें तो करते है,पर हमारी तरह बातचीत क्यों नहीं करपाते है?
हम अपनी भावनाओं को अनेक भाषाओं द्वारा एक-दूसरे से व्यक्त करते लेते है,दुःख-सुख,प्रेम-क्रोध तथा भय आदि नाना प्रकार की अभिव्यक्तियों को चेहरे के भावों के द्वारा अथवा रोने, हंसने के साथ-साथ बातचीत के द्वारा भी आसानी से प्रकट कर लेते है। भाषा चाहे कोई भी हो, बातचीत के लिए उस भाषा के शब्दों की आवश्यकता होती है। इन शब्दो के विकास में हमारे कंठ और मस्तिष्क का गहरा सम्बन्ध है। हर तरह की स्थिति को स्पष्ट करने के लिए मस्तिष्क नए-नए शब्दों की रचना करने में मदद करता रहता है,क्योंकि मनुष्य का मस्तिष्क सबसे अधिक विकसित माना जाता है।
यह मनुष्य को बोलचाल के लिए आवश्यक शब्दों के भंडार को बढ़ाने में सहायक है। ठीक इसके विपरीत पशुओं के बोलने के लिए कंठ तो होती है, जिससे वे नाना प्रकार की आवाजों के माध्यम से अपने दुःख-सुख आदि अभिव्यक्त करते है, लेकिन पशुओं का मस्तिष्क मनुष्य की तुलना में बहुत कम विकसित होता है। इसलिए वे शब्दों की रचना नहीं कर पाते है। जिसके कारण वे शब्दों को जानने में असमर्थ होते है। इससे वे आवाज तो करते है, लेकिन हम लोगो की तरह बात नहीं कर सकते।
Highlight Point Of Amazing Facts ( Science Formulas List )
आर्टिकल का नाम | विज्ञान के बारे में 5 आश्चर्यजनक तथ्य | Top 5 Amazing Facts in Hindi about Science |
जिप्सम | CaSO₄·2H₂O. |
साधारण नमक | NaCl. |
बेकिंग सोडा | NaHCO₃ |
कास्टिक सोडा | NaOH. |
धोवन सोडा | Na₂CO₃·10H₂O. |
सुहागा | Na₂B₄O₇·10H₂O. |
फिटकरी | K₂SO₄·Al₂(SO₄)₃·24H₂O. |
तारपीन का तेल | C₁₀H₁₆ |
Total facts | 5 |
2. चिकनाई लगे कपड़े साबुन से कैसे साफ हो जाते है?
कपड़े धूल, मिटटी, कीचड़ या चिकनाई आदि लगने से गंदे हो जाते है। इन्हे फिर से उपयोग करने लायक बनाने के लिए गंदगी को साफ करना होता है। कुछ धूल-मिटटी तो कपड़े झाड़ने से झड़ जाते है , जबकि कुछ गंदगी पानी में घुलकर धोने से निकल जाती है। लेकिन घी, तेल, चिकनाई तथा ग्रीस आदि चिकने पदार्थों से गंदे हुए चिकने कपड़ो की यह गन्दगी कपड़ों को झाड़ने या पानी से धोने से साफ नहीं होती है। क्योंकि चिकनाई पानी में घुलती नहीं है और झाड़ने से झड़ती नहीं है।
इसलिए इसे साबुन से साफ करना पड़ता है। जब कपड़ो को पानी में भिगोकर साबुन लगाकर धोते है तो धूल-मिटटी के साथ चिकनाई भी छोटे-छोटे कणों में टूटकर बिखर जाती है। अब साबुन या डिटर्जेंट के घोल की पतली फिल्म इन कणों को घेर लेती है और इस तरह साबुन और चिकनाई का इमलशन-सा बन जाता है। अब इन्हे साफ पानी में खगालने से गंदगी का इमलशन कपड़ो से हटकर पानी के साथ निकल जाता है और चिकने कपड़े साफ हो जाते है।
3. हमारे शरीर में नाभि क्यों होता है?
बच्चा पैदा होने से पहले माँ के पेट में गर्भाशय में पलता है और वहां उसे अपनी वृद्धि के लिए भोजन, ऑक्सीजन आदि की भी जरुरत होती है। गर्भवस्था में बच्चा इन आवश्यकताओं की पूर्ति केवल माँ से ही कर सकता है। माँ के पेट में बच्चा एक थैलीनुमा प्लासेंटा या जेर में बंद होता है और इससे एक नली द्वारा जुड़ा रहता है। इसी नली द्वारा बच्चा अपनी माँ से पचा हुआ भोजन और ऑक्सीजन आदि लेता है।
बच्चे के विकसित शरीर में बननेवाले व्यर्थ पदार्थ आदि भी इसी नली के द्वारा माँ के शरीर में भेजे जाते रहते है। इस तरह माँ के पेट में बच्चा पूरी तरह माँ के ही भोजन, हवा, पानी आदि पर आश्रित रहता है। इनकी पूर्ति के लिए यह नली बच्चे के पेट से जुड़ी होती है। बच्चे के पैदा हो जाने के बाद नली की आवश्यकता नहीं रहती, क्योंकि अब बच्चा पूरी तरह विकसित हो चूका होता है और अपना भोजन स्वयं ले और पचा सकता है।
इसलिए इस नली या नाल को काटकर बच्चे को माँ से अलग कर दिया जाता है। वह नहीं बच्चे से जुड़े रहने के बजाय धीरे-धीरे छूटकर अलग हो जाती है यही नाभि का रूप ले लेती है अर्थात यही नाभि कहलाती है।
4. सिर के बाल काले, भूरे अथवा सफेद रंग के ही क्यों होते है?
किसी भी रंग के लिए कोई-न-कोई रंजक उत्तरदायी होता है। हमारे सिर के बालों का काला रंग भी मैलेनिन नामक एक रंजक के कारण होता है। यह बालों की जड़ में फालिकिल में स्थित होता है। इस रंजक की उपस्थिति के अनुसार ही बालों के कालेपन में कमी या अधिकता देखने को मिलती है। सूर्य के प्रकाश के अनुसार भी इसका प्रभाव घटता-बढ़ता देखा गया है।
इसीलिए जो लोग गरम या उष्ण जलवायु के प्रदेशो में रहते है , उनके बाल अधिकतर काले पाए जाते है। सूर्य का प्रकाश कम मात्रा में होने पर मैलेनिन रंजक भी कम मात्रा में होने के साथ-साथ प्रभावकारी भी कम होता है। इसलिए ठंडे और सूर्य के कम प्रकाश के प्रदेशों के लोगो के बाल अधिकतर भूरे रंग के हो जाते है। बाल सफेद तब होता है जब उसे रंजक बिलकुल भी नहीं मिल पता। ऐसे में बाल सफेद हो जाता है।
पैतृक गुण तथा वंशावली आदि की वजह से भी सिर के बाल भूरे, लालभ या सुनहरी जैसे देखने को मिलते है। उम्र के साथ भी जब बालों के फालिकिल में मैलेनिन रंजक की मात्रा घटने लगती है तो वे सफेद होने लगते हैक्योंकि बालों के लिए मैलेनिन रंजक के अतिरिक्त अन्य कोई रंजक हमारे शरीर में नहीं होता है इसलिए सिर के बाल किसी भी अन्य हरे-पीले आदि रंग के न होकर काले, भूरे अथवा सफेद रंग के ही होते है।
5. लकड़ी जल तो जाती है लेकिन पिघलती क्यों नहीं है?
सभी पदार्थो का गठन उनके अणुओं और परमाणुओं की एक विशेष संरचना में जुड़े रहने के कारण होता है। यह परमाणु आपस में एक दुर्बल बल से जुड़े होते है। जब किसी पदार्थ को पिघलना होता है तो उसे गरम किया जाता है। इससे उसका ताप बढ़ता है। ताप बढ़ने से दुर्बल बल टूटने लगता है।
जब यह बल टूटता है तो पदार्थ के परमाणुओं से बनी संरचना बिखरने लगती है और संरचना के बिखरने से पदार्थ पिघलने लगता है। लेकिन जब लकड़ी को गरम किया जाता है तो ताप मिलने पर वह ऑक्सीजन के सहयोग से पिघलने की स्थिति आने से पहले ही जलने लगती है। यही कारण है कि लकड़ी को पिघलना कठिन ही नहीं, बल्कि वर्तमान परिस्थितियों में असम्भव है।
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FAQs Of Amazing Facts In Hindi About Science
जिप्सम का Formula CaSO₄·2H₂O. है ?
बेकिंग सोडा का Formula NaHCO₃ है |
बेकिंग सोडा का Formula NaCl. है |